मैं आस्तिक क्यो हूँ ?

मैं आस्तिक क्यो हूँ ? 

भारत में वामपंथ और बौद्धिक षड्यंत्रकर्ता प्रायः यह दुष्प्रचार फैलाते है कि दुनिया में इंसानियत सिर्फ नास्तिको के पास है ,, बाकी जो लोग धार्मिक है वह कट्टरपंथी होते है धर्म के नाम पर मानव मानव से नफरत करते है धार्मिक उपद्रव फैलाते है। 

जबकि वास्तविकता ठीक इसके विपरीत है दुनिया में सबसे ज्यादा इंसानियत को और मनुष्यता को बर्बरता और निर्लज्जता के साथ अगर कत्ल किया गया है तो वह नास्तिकों द्वारा किया गया है। 

"धर्म एक अफीम है, धर्मो की वजह से दुनिया मे करोडो मताओ की  कोख खाली हो गयी, और पता नहीं कितनी औरते विधवा हो गयी ?" - एसे भावुक वाक्यो से वामपंथी और तथाकथित नास्तिक आप के मन में आप के धर्म और संस्कृति के प्रति जहर घोलते हुवे देखे जा सकते है। 


ये वही वामी नास्तिक लोग है, ज़िन्होने पिछले 100 सालों मे पूरी दुनिया मे 10 करोड लोगो का नरसंहार किया है | और ये बात कोई संघी या मनुवादी ने नही कहा है |  बल्कि इस सत्य से पर्दा उठाया है इन्ही के लोगो ने, जो वामपंथ को छोडकर वास्तविक मनुष्य बने।  ऐसे ही लोगो ने "BLACK BOOK OF COMMUNISM" करके एक पुस्तक लिखी,  ज़िसका अनावरण 2012 में  France मे हुआ | इस पुस्तक में परत दर परत इन नास्तिकों और धर्म विरोधियों के एक एक षड्यंत्र को इन्हीं के बीच से निकले लोगो ने बेनक़ाब किया है। 

यहाँ पर उस पुस्तक की Free PDF वाली लिंक भी डाल रहा हूँ जिसको जरूरी लगे वह इसे download करके पढ़ सकता है 

और एक बात मैं सभी आस्तिक मत एव विचारधारा वाले लोगो से कहना चाहूंगा अगर आप सब के सामने कोई भी नास्तिक ज्यादा उछल कूद करता हुवा आप को जरूर से ज्यादा ज्ञान बांटे तो आप यह सवाल उससे जरूर करें ...

की चलो मान लिया की,धर्मो की वजह से दुनिया मे करोडो मताओ की कोख़ खाली हो गयी, और पता नहीं कितनी औरते विधवा हो गयी |

तो यह बताओ सनातन धर्म की वजह से कितनी जाने गयी, सनातन धर्म ने अपने धर्म के प्रचार के लिए कितनो को मारा ? भारत मे रहने वाले सनातनी हिन्दुओ ने धर्म प्रचार या धार्मिक उन्माद में कितने देशों पर हमले किये कितने लोगों को मारा इसका कोई डेटा कोई आंकड़ा किसी एथेंटिक स्रोत से वह दे सकते है दे ? 


यकीन मानिए कुतर्क जमात आप को इस परिपेक्ष्य में एक भी सबूत नही दे पाएगा और इसके जवाब में रामायण महाभारत का उदाहरण देता फिरेगा जिसे की वह काल्पनिक कहता फिरता है।  😂😂 


डॉ. शंकर शरण का "सामयवाद के अपराध" पर बहुत अच्छा लेक्चर है,अगर आपके सामने कोई भी आकर तथाकथित " अहिंसावाद" का पाठ पढ़ाकर आपको आपके धर्म और संस्कृती के प्रति गुमराह करने प्रयास करे, तो तुरंत उसके मुह पर ये दोनो लिंक चिपका दिजीये |

फिर देखिए पूरी नास्तिकता और अहिंसावाद का छ्द्म मुखौटा वही घुस जाना है जहां से निकल कर फड़फड़ाता रहता है। 

वीडियो देखने के लिए क्लिक करें 

अब चलिए आप को बताता हूं मैं आस्तिक क्यो हूँ ? 

मुझे अक्सर फोर्स किया जाता है कि मैं आस्तिक क्यो हूँ नास्तिक क्यो नही बन जाता .. तो ऐसे लोगो को मैं यही जवाब देता हूँ ... 

मैं धर्म कैसे छोड़ दु जब धर्म ही मुझे मनुष्य बने रहने की प्ररेणा देता है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार धर्म के 10 लक्षण है ,,,, 


धृतिः क्षमा दमोSस्तेयं  शौचमिन्द्रियनिग्रह:। 

धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ।।


अर्थात - धृति  (धैर्य ) क्षमा ( अपना अपकार करने वाले पर भी उपकार करना ) दम ( हमेसा संयम से धर्म मे लगे रहना )  अस्तेय ( चोरी न करना ) शौच ( आंतरिक एव वाह्य शुद्धता रखना )  इन्द्रिय निग्रह ( इंद्रियों को नियंत्रित रखते हुवे सत्कर्मो में लगना ) धी ( सद्कर्मो से बुद्धि को बढ़ाना ) विद्या ( यथार्थ ज्ञान लेना ) सत्यम ( हमेसा सात्य का आचरण करना ) अक्रोध ( किसी पर अनावश्यक क्रोध न करना अर्थात क्रोध छोड़ कर शांत रहना ) 

वास्तव में यही धर्म है .... जो इन नियमो को मानता है इनका अनुसरण करता है वही धार्मिक है ... 

यह सभी लक्षण ही मानव मात्र को मनुष्य बनने की ओर प्रेरित करते है। जिनमे धर्म के यह लक्षण है असल मे वही मनुष्य है या इंसान है। बाकी अब नास्तिक अपना बतावे उनमें ऐसी कौन सी स्पेशल क्वालिटी है अगर वह धर्म नही मानते तो ...जो उसे अपनाया जाए ...

जहां तक मैं समझता हूं निसंदेह नास्तिकों में यह सभी बातें नही होनी चाहिए जो धर्म के 10 लक्षणों के रूप में परिभाषित की गई है। 

 ... उनका आचरण इसके विपरीत हो तभी वह स्वयं को नास्तिक कहने के अधिकारी है। 

धर्म के इन 10 धार्मिक लक्षणों से विरत रहने वाले को ही अर्थात - जो धैर्य न रखता हो , किसी का उपकार न करता हो , धर्म विरुद्ध आचरण करता हो, चोरी करता हो , काम वासना और इंद्रिय भोग विलास में ही खोया रहता हो , जिसका अपनी इंद्रियों पर संयम न हो , जो बुरे आचरणों के कारण संकुचित बुद्धि का हो चला हो , जिसमे   ज्ञान का अभाव हो , जो झूठा और असत्य बोलने वाला , क्रोधी और बर्बर हो .... असल मे वही नास्तिक काहे जाने योग्य है। 


अब आप समझ चुके होंगे आख़िर मैं आस्तिक क्यो हूँ ....